जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
शिव आरती
Whosoever provides incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with really like and devotion, enjoys materials joy and spiritual bliss in this globe and hereafter ascends towards the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva eliminated the suffering of all and grants them eternal bliss.
O Wonderful Lord, consort of Parvati You happen to be most merciful . You always bless the very poor and pious devotees. Your beautiful type is adorned While using the moon on Your forehead and on your own ears are earrings of snakes' hood.
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध shiv chalisa in hindi कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
आज के युग में शिव चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा लिरिक्स की सरल भाषा के मध्यम भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें
ब्रह्म shiv chalisa lyricsl – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र